जूमे की फजीलत
अस्सलामू अलैकुम दोस्तों, मैं हूं नुसरत और आज मैं आपको एक बहुत प्यारी हदीस के बारे में बताने जा रही हूं। मुझे उम्मीद है की आपको ये हदीस पढ़कर अच्छा लगेगा और आप अपने ईमान को और मजबूत करेंगे।
अनअबि हुरैराता रजि अल्लाहु अनहु , अन्ना रसुल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम काला : (अस्सालावातुल खमस , वल जुमाआतु इलल जुमाआते , व रमजानु इला रमजाना , मुकफ्फरातु मा बैना हुन्ना , इज्ज तुनिबातुल कबाइरु)
रवाहु मुस्लिम
तरजुमा
अबु हुरैरा राजी अल्लाहु अनहु से रवायत है की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : पांच वक्त नमाज, एक जुमा से दुसरे जुमा तक और एक रमजान दुसरे रमजान तक के (सगिरा) छोटा गुनाहों का कफ्फारा बन जाता है श। बशर्ते ये हे की कबिरा (बड़ा) गुनाहों से बचा जाये।
(मुस्लिम: 332)
उसके फवाईद
इस हदिस से पांच वक्त की नमाजो , नमाजे जुमा और रमजान के रोजो की फजिलत मआलुम होती है।
और ये भी मालुम होता है की ये सब असबाब मगफिरत है।
सगिरा गुनाहों का माफ होना मशरुत (शर्त किया गया) है , कबिरा गुनाहों से बचने की शर्त के साथ ।
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